Yug Kranti Ki Prabhat Vela by Rajesh
व्यवस्थापरिवर्तन या समाजपरिवर्तन की प्रत्येक चेष्टा, ईश्वरेच्छा की उपेक्षा कर असफल और दिशाहीन हो जाने के लिए अभिशप्त है।
यह कृति समाजपरिवर्तन की दिशा में सक्रिय विचारों का, उनके विकसित होते गए परिप्रेक्ष्य में संयोजन मात्र है। इन विचारों का स्रोत महापुरुषों की वे शिक्षाएँ हैं, जिनमें एक नए मनुष्य के सृजन को संभव बनानेवाले कारकतत्त्वों का उद्घाटन हुआ है। समग्र परिवर्तन का आह्वान करती ये शिक्षाएँ मनुष्य और समाज के आमूल रूपांतरण की दिशा का बोध कराने वाली हैं। इन सबके केंद्र में वर्तमान जीवन है। युद्ध, विखंडन, स्पर्धा, हिंसा, स्वार्थ और लोलुपता से भरी दुनिया को अस्वीकार करने का अर्थ है—मानस एवं हृदय के आमूलचूल परिवर्तन की दिशा में नए सिरे से विचार करना। इस प्रकार के विचारों को सुव्यवस्थित रूप में सामने लाने का यह विनम्र प्रयास है। इस क्रम में रामकृष्ण परमहंस, महात्मा गांधी, रवींद्रनाथ ठाकुर, श्रीअरविंद, रमण महर्षि, आचार्य विनोबा भावे, जे. कृष्णमूर्ति, रामनंदनजी प्रभृति महापुरुषों की शिक्षाओं को यहाँ विशेष रूप में स्थान मिला है।
नवजागरण का मार्ग प्रशस्त करनेवाली सभी आयुवर्ग के पाठकों के लिए समान रूप से पठनीय पुस्तक।
Publication Language |
Hindi |
---|---|
Publication Access Type |
Freemium |
Publication Author |
RAJESH |
Publisher |
Prabhat Prakashana |
Publication Year |
2015 |
Publication Type |
eBooks |
ISBN/ISSN |
9788177212518' |
Publication Category |
Premium Books |
Kindly Register and Login to Shri Guru Nanak Dev Digital Library. Only Registered Users can Access the Content of Shri Guru Nanak Dev Digital Library.
You must be logged in to post a review.
Reviews
There are no reviews yet.