Bharatvarsh Ki Sarvang Swatantrata by Narender Sehgal

परम वैभव के लिए
सर्वांग स्वतंत्रता
अखंड भारत भारतीयों के लिए भूमि का टुकड़ा न होकर एक चैतन्यमयी देवी भारतमाता है। जब तक भारत का भूगोल, संविधान, शिक्षाप्रणाली, आर्थिक नीति, संस्कृति, समाज-रचना, परसा एवं विदेशी विचारधारा से प्रभावित और पश्चिम के अंधानुकरण पर आधारित रहेंगे, तब तक भारत की पूर्ण स्वतंत्रता पर प्रश्नचिह्न लगता रहेगा। स्वाधीन भारत में महात्मा गांधीजी के वैचारिक आधार स्वदेश, स्वदेशी, स्वधर्म, स्वभाषा, स्वसंस्कृति, रामराज्य, ग्राम स्वराज इत्यादि को तिलांजलि दे दी गई। स्वाधीन भारत में मानसिक पराधीनता का बोलबाला है। देश को बाँटने वाली विधर्मी/विदेशी मानसिकता के फलस्वरूप देश में अलगाववाद, अतंकवाद, भ्रष्टाचार, सामाजिक विषमता आदि पाँव पसार चुकी हैं। संघ जैसी संस्थाएँ सतर्क हैं। परिवर्तन की लहर चल पड़ी है। देश की सर्वांग स्वतंत्रता अवश्यंभावी है।
गांधीजी की इच्छा के विरुद्ध भारत-विभाजन के साथ खंडित राजनीतिक स्वाधीनता स्वीकार करके कांगे्रस का सारा नेतृत्व सासीन हो गया। दूसरी ओर संघ अपने जन्मकाल से आज तक ‘अखंड भारत’ की ‘सर्वांग स्वतंत्रता’ के ध्येय पर अटल रहकर निरंतर गतिशील है।

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

Narender Sehgal

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2018

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9789352667062'

Publication Category

Premium Books

Kindly Register and Login to Shri Guru Nanak Dev Digital Library. Only Registered Users can Access the Content of Shri Guru Nanak Dev Digital Library.

SKU: 9789352667062.pdf Categories: , Tags: ,
Reviews (0)

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Bharatvarsh Ki Sarvang Swatantrata by Narender Sehgal”