Main Premchand Bol Raha Hoon by Rajasvi
उपन्यास सम्राट् मुंशी प्रेमचंद ने गरीब मजदूरों व किसानों पर हो रहे अत्याचारों और उनके शोषण को बड़ी निकटता से देखा था। यही कारण है कि उन्होंने समाज से जुड़ी इस तरह की घटनाओं का अपनी रचनाओं में यथार्थ रूप से स्पष्ट वर्णन किया है।
भारत उस समय परतंत्रता की बेडि़यों में जकड़ा हुआ था। अंग्रेज सरकार भारतीय जनता पर तरहतरह के अत्याचार कर रही थी, जिससे जनता बुरी तरह त्रस्त थी। लोगों में राष्ट्रप्रेम की भावना जाग्रत् करने के लिए प्रेमचंद ने अनेक लेख, कहानियाँ और उपन्यास लिखे। घोर निराशा में डूबी और अवसादग्रस्त जनता को झकझोरने के लिए उन्होंने सामाजिक कुप्रथाओं, जैसे— अनमेल विवाह, दहेजप्रथा और बालविवाह पर कड़े प्रहार किए।
इस पुस्तक में देश, समाज, धर्म, मानवीय अनुभूतियों और साहित्य की विभिन्न विधाओं पर प्रेमचंदजी के सुस्पष्ट विचारपुष्प संचित हैं। प्रेमचंद की विभिन्न रचनाओं, लेखों एवं भाषणों में अभिव्यक्त उनके विचारों का प्रेरणाप्रद संकलन है ‘मैं प्रेमचंद बोल रहा हूँ’।
Publication Language |
Hindi |
---|---|
Publication Access Type |
Freemium |
Publication Author |
RAJASVI |
Publisher |
Prabhat Prakashana |
Publication Year |
2017 |
Publication Type |
eBooks |
ISBN/ISSN |
9789383111756' |
Publication Category |
Premium Books |
Kindly Register and Login to Shri Guru Nanak Dev Digital Library. Only Registered Users can Access the Content of Shri Guru Nanak Dev Digital Library.
You must be logged in to post a review.
Reviews
There are no reviews yet.