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Parivartan Ki Ore by Shiwanand Dwivedi, anant Vijay
कहा जाता है कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है। लोकतंत्र में भी परिवर्तन होते रहते हैं, लेकिन सही अर्थों में परिवर्तन, जो देश, काल और परिस्थिति पर अपनी अमिट छाप छोड़ सके, ऐसा कम ही देखने को मिलता है। राजनीति में वर्षों बाद ऐसे मौके आते हैं, जब वह परिवर्तन की गवाह बनती है। राजनीति में सही अर्थों में परिवर्तन के लिए मजबूत इच्छाशक्ति और देश के सर्वांगीण विकास हेतु कुछ कर गुजरने की तमन्ना होना आवश्यक है। भारत को जब आजादी मिली थी तो इतिहास ने एक करवट ली। जनाकांक्षा हिलोरें ले रही थीं और आजादी के रोमांटिसिज्म में जनता दशकों तक परिवर्तन की अपेक्षा नहीं कर रही थी। आजादी के करीब सड़सठ साल बाद जनता ने देश में परिवर्तन की आकांक्षा से राजनीतिक बदलाव पर अपनी मुहर लगाई। भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला और साथ ही मिला पूरा करने के लिए जनता की अपेक्षाओं का अंबार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाईवाली सरकार ने इन जनाकांक्षाओं पर खरा उतरने के लिए कई योजनाओं और नीतियों का ऐलान किया और इन्हें कार्यान्वित करने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। इन योजनाओं के लेखा-जोखा का परिणाम है यह पुस्तक, जिसमें देशभर के पत्रकारों, ब्लॉगर्स और लेखकों ने जमीनी स्तर पर जो देखा-पाया, वो लिखा।
Publication Language |
Hindi |
---|---|
Publication Access Type |
Freemium |
Publication Author |
ANANT VIJAY , SHIWANAND DWIVEDI |
Publisher |
Prabhat Prakashana |
Publication Year |
2018 |
Publication Type |
eBooks |
ISBN/ISSN |
9789386300249' |
Publication Category |
Premium Books |
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