Se. Ra. Yatri Ki Lokpriya Kahaniyan by Se. Ra. Yatri

वरिष्ठ साहित्यकार से.रा. यात्री की लोकप्रिय कहानियों के इस संग्रह की अवधि प्रायः पाँच दशकों तक फैली हुई है। ये कहानियाँ अनेक बार प्रकाशित होकर भी अपने आशय में कभी पुरानी नहीं पड़ीं। हमारे समाज का अंतर्बाह्य इन कथाओं में अपनी विविधता में बहुपक्षीय और बहुआयामी है। यद्यपि इन सभी रचनाओं का कथ्य मामूली और बेचेहरे वाले निम्नमध्यवर्गीय समाज का है, तथापि उनकी त्रासद स्थितियाँ हूबहू एक जैसी नहीं हैं। इस वर्ग की इतनी मर्मांतक शक्लें हैं कि उन्हें किसी एक ढाँचे में नहीं ढाला जा सकता। यह वर्ग भारतीय समाज की रीढ़ है। भयानक त्रासद स्थितियों के बावजूद इस वर्ग से जहाँ विद्यार्थी, मामूली क्लर्क और अध्यापक तथा छोटे दुकानदार आते हैं, वहीं चिंतक, विचारक, कवि, लेखक, दार्शनिक और सामाजिक परिवर्तन के ध्वजवाहक भी आते हैं। इन कहानियों के पात्र निरंतर कष्टों और अभावों में जीते चले जाने के बावजूद अपने वर्तमान के प्रति उदासीन और आस्थावादी नहीं होते। उनका बीहड़ परिस्थितियों में कर्मविमुख और कर्तव्यच्युत न होना ही उनकी सर्वोपरि ऊर्जावान शक्ति है। गिरतेपड़ते और आपाधापी में भी वह निरंतर एक सुखद कल के भरोसे गतिशील रहते हैं। उनकी श्रेष्ठता और टुच्चापन दोनों ही दर्शनीय हैं, किंतु वह उनकी मनुष्यता को नहीं नकारती। श्रेष्ठ और गर्हित दोनों ही मनुष्य के शाश्वत रूप हैं। सभी आयु वर्ग के पाठकों के लिए रुचिकर लोकप्रिय कहानियाँ।

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

SE. RA. YATRI

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2015

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9789351862758'

Publication Category

Premium Books

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